हिमाचल के लिए केंद्र से लंबित देय राशि जारी करने की वकालत, नीति आयोग की बैठक में सीएम ने उठाए कई मामले

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को नई दिल्ली में नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लिया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

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नई दिल्ली/ शिमला : मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को नई दिल्ली में नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में भाग लिया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की।

बैठक में इस वर्ष ‘विकसित भारत के लिए विकसित राज्य/2047’ विषय पर चर्चा की गई। बैठक में विकास की राह में चुनौतियां और विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन चुनौतियों का सामना करने पर बल दिया गया।

सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि पर्वतीय राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न योजनाओं की पात्रता में छूट देते हुए अधिक धनराशि आवंटित की जानी चाहिए।

उन्होंने राज्य को लंबे समय से लंबित देय राशि को भी जारी करने की मांग की। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र द्वारा लंबित देय राशि को समय पर जारी किया जाता है तो हिमाचल प्रदेश आत्मनिर्भर राज्य बन जाएगा।

मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश को देश के पर्यटन मानचित्र पर सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में लाने के लिए राज्य सरकार के विजन के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं।

देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, इको, जल, प्राकृतिक गतिविधि आधारित और स्वास्थ्य पर्यटन को विविध आयाम प्रदान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांगड़ा हवाई अड्डे पर बड़े विमानों के उतरने के लिए हवाई पट्टी का विस्तारीकरण किया जा रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने के साथ-साथ पर्यटकों को भी सुविधा होगी।

उन्होंने जल विद्युत परियोजनाओं में राज्यों के अधिकारों की भी पुरजोर वकालत की और मुफ्त रॉयल्टी और 40 वर्ष पूरे कर चुके पीएसयू तथा सीपीएसयू को राज्य को सौंपने का मामला भी उठाया।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश की ऊर्जा नीति के अनुसार रॉयल्टी संबंधी मामला भी उठाया। सरकार की वर्तमान नीति के अनुसार पहले 12 वर्षोें के लिए 12 प्रतिशत, उसके उपरांत 18 वर्षों के लिए 18 प्रतिशत और इसके बाद 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत रॉयल्टी का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कार्यरत निजी कम्पनियां सरकार की ऊर्जा नीति की अनुपालना कर रही हैं। उन्होंने केन्द्रीय पीएसयू को भी इस नीति को अपनाने पर बल दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की वन सम्पदा उत्तर भारत को प्राण वायु प्रदान करती है और देश के हरित आवरण को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए राज्य को ग्रीन बोनस मिलना चाहिए। प्रदेश सरकार ने हिमाचल को 31 मार्च, 2026 तक हरित ऊर्जा राज्य के रूप में विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

आगामी समय में हिमाचल देश के अग्रणी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादक राज्य के रूप में उभरेगा। जिला सोलन में राज्य सरकार ऑयल इंडिया लिमिटेड के साथ मिलकर एक मेगावाट क्षमता का ग्रीन हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है।

सुक्खू ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए और विभिन्न योजनाओं में पात्रता मानदंडों में ढील देते हुए धनराशि के अधिक आवंटन पर विचार किया जाना चाहिए।

बैठक के दौरान उद्यमिता, कौशल विकास तथा सतत रोजगार अवसरों को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए विभिन्न पहलों पर भी विचार-विमर्श किया गया। मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर भी मुख्यमंत्री के साथ उपस्थित रहे।