मरीजों को जबरन डिस्चार्ज करने पर भड़के तीमारदारों ने ददाहू अस्पताल के बाहर किया चक्का जाम

अस्पताल में लंबे समय से डॉक्टरों के कुल 8 और 10 नर्सों के पद खाली पड़े हैं। इस वजह से डाक्टरों पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ साथ डाक्टरों को OPD भी देखनी पड़ रही है। इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर कई बार विभाग से मांग भी की जा चुकी है, लेकिन अस्पतालों में डाक्टरों की भर्ती नहीं की जा रही है।

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श्री रेणुकाजी : जिला सिरमौर के सिविल अस्पताल ददाहू में भर्ती मरीजों को जबरन डिस्चार्ज करने पर तीमारदारों का गुस्सा फूट पड़ा। गुस्साए तीमारदारों ने अस्पताल के मुख्य गेट के बाहर सड़क पर बैठकर चक्का जाम कर दिया, जिससे करीब 45 मिनट तक यातायात बाधित रहा।

जानकारी के अनुसार वीरवार को अस्पताल में भर्ती 36 मरीजों में से 12 को अचानक डिस्चार्ज कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मरीजों को ऐसी स्थिति में भी छुट्टी दे दी गई जब उनके ड्रिप लगी हुई थी, जिसके बाद उनके साथ आए तीमारदारों का गुस्सा भड़क गया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है और इसी वजह से मरीजों की सही देखभाल नहीं हो रही है।

उन्होंने कहा कि वीरवार को अस्पताल में केवल एक डॉक्टर और एक नर्स ही ड्यूटी पर थे, जिससे मरीजों का इलाज ठीक से नहीं हो पा रहा था। तीमारदारों ने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को उचित इलाज के बिना ही छुट्टी दी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग और सरकार का अस्पतालों में मरीजों को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं देने की तरफ ध्यान नहीं है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं, जिसका खामियाजा मरीज भुगत रहे हैं।

उधर, मामले की जानकारी मिलते ही तहसीलदार जय सिंह ठाकुर तुरंत मौके पर पहुंचे और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को शांत कराया। उन्होंने मरीजों से बातचीत की और उन 12 मरीजों को दोबारा अस्पताल में भर्ती करवाया। तहसीलदार ने तुरंत जिला प्रशासन से भी संपर्क किया, जिसके बाद डीसी ने विभाग से इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी। इसके बाद ही प्रदर्शन शांत हुआ और यातायात सामान्य हो सका।

बता दें कि अस्पताल में लंबे समय से डॉक्टरों के कुल 8 और 10 नर्सों के पद खाली पड़े हैं। इस वजह से डाक्टरों पर काम का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजों के साथ साथ डाक्टरों को ओ.पी.डी. भी देखनी पड़ रही है। इससे मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही है। इसको लेकर कई बार विभाग से मांग भी की जा चुकी है, लेकिन अस्पतालों में डाक्टरों की भर्ती नहीं की जा रही है।