शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने शनिवार को प्रदेश में मादक पदार्थ चिट्टे के खिलाफ व्यापक जन आंदोलन आरंभ कर निर्णायक लड़ाई का आगाज किया। उन्होंने शिमला के रिज से चौड़ा मैदान तक आयोजित चिट्टा-विरुद्ध जागरूकता वॉकथॉन का नेतृत्व किया। इस वॉकथॉन में समाज के हर वर्ग से जुड़े लोगों, विद्यार्थियों, जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों और गणमान्य लोगों ने हिस्सा लिया। उन्होंने वॉकथॉन आरंभ होने से पहले रिज पर उपस्थित लोगों को नशे और मादक पदार्थों के सेवन के खिलाफ शपथ भी दिलाई।
चौड़ा मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन हिमाचल के इतिहास में महत्त्वपूर्ण मोड़ है। उन्होंने कहा कि चिट्टे के खिलाफ चुनौती का सामना हिमाचल प्रदेश जन आंदोलन की शक्ति से करेगा और तस्करों को कभी भी किसी भी रूप में छुपने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि चिट्टा मुक्त हिमाचल महज एक सरकारी कार्यक्रम नहीं है।
यह एक जन आंदोलन, प्रदेश के लोगों की पुकार और हिमाचल की अस्मिता का युद्ध है। इसका स्वर इतना शक्तिशाली होगा कि इसकी गूंज पहाड़ों से टकरा कर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष में सुनाई देगी। स्कूल अब शिक्षा के केंद्र ही नहीं, बल्कि संस्कार और सुरक्षा के किले बनेंगे। इन किलों से एक नई पीढ़ी निकलेगी, जो चिट्टा नहीं चेतना लेकर चलेगी।
सुक्खू ने कहा कि इस आंदोलन में माताएं हमारी रीढ़ होंगी, क्योंकि जब मां जागती है तो पूरा समाज संभल जाता है। इस चिट्टे की लड़ाई में महिलाएं मां दुर्गा का रूप धारण कर चिट्टे के तस्करों का नाश करेंगी। उन्होंने धार्मिक संस्थाओं से भी चिट्टे के खिलाफ आवाज बुलंद करने का आह्वान करते हुए कहा कि सभी लोग देवभूमि में चिट्टे के अंत का संदेश देंगे तो इसके समूल नाश को कोई भी रोक नहीं पाएगा।
मुख्यमंत्री ने प्रहारक शब्दों में कहा कि जो लोग चिट्टा बेचते हैं, जो बच्चों के भविष्य को जहर देते हैं, जो घर बर्बाद करते हैं उन्हें बचाने के लिए इस देवभूमि में अब कोई जगह नहीं बची है। हमारी पुलिस तैयार है, हमारी सरकार तैयार है और सबसे महत्त्वपूर्ण जनता तैयार है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा हिमाचल बनाना चाहते हैं, जहां चिट्टे का नाम सिर्फ इतिहास की किताबों में लिखा जाए, एक खत्म हो चुकी बुराई की तरह।
कहा कि चिट्टा हमारी सभ्यता, हमारे संस्कार और हमारे भविष्य को चुपचाप चोट पहुंचा रहा है। इसके खिलाफ पूर्ण निर्णायक और असंभव को संभव बनाने वाले जन आंदोलन का आज आगाज हो चुका है। प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ तीन बिंदुओं पर काम करना शुरू किया है। पहला नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाना, दूसरा नशे के दल-दल में जाने से युवाओं को रोकने के लिए नशा माफिया पर कार्रवाई करना और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को और ताकत देना, ताकि वह नशा माफिया के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई कर सकें।
उन्होंने कहा कि तीसरे बिंदू के तहत चिट्टे की चपेट में आए बच्चों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिट्टे के दल-दल में फंसे युवा अपराधी नहीं है बल्कि उन्हें ईलाज, प्यार और पुनर्वास की जरूरत है। कहा, प्रदेश सरकार ने चिट्टे के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।
चिट्टे के काले कारोबार में चाहे कोई भी शामिल हो, वह कितना ही प्रभावशाली व्यक्ति हो उसे बख्शा नहीं जाएगा। वर्तमान प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही पीआईटी-एनडीपीएस अधिनियम लागू किया है, जिसके माध्यम से बार-बार चिट्टे की तस्करी में शामिल व्यक्तियों को जेल की सलाखों के पीछे डाला जा रहा है।
नशे के आदी व्यक्तियों के उपचार, पुनर्वास और नशे सहित संगठित अपराध को रोकने के लिए नए विधेयक पारित किए गए हैं। इनमें नशा तस्करों को मृत्युदंड, आजीवन कारावास, 10 लाख रुपये तक जुर्माना और नशा माफिया की संपत्ति जब्त करने के प्रावधान शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार शीघ्र ही एक हजार एंटी चिट्टा स्वयं सेवियों की टीम तैयार करने जा रही है, जो पुलिस और आम जनता के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेंगे। पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि चिट्टे का सेवन करने वालों और चिट्टा माफिया की मैपिंग पंचायत स्तर तक की जाए। इस कार्य को पूर्ण किया जा चुका है। प्रदेश सरकार ने नशामुक्ति रोकथाम एवं पुनर्वास बोर्ड गठित किया है और मादक पदार्थाें के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में नया अध्याय शुरू किया जाएगा।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. (कर्नल) धनी राम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, विधानसभा उपाध्यक्ष विनय कुमार, विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के विधायक, महापौर सुरेन्द्र चौहान, विभिन्न बोर्ड व निगम के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष, मुख्य सचिव संजय गुप्ता, अतिरिक्त मुख्य सचिव के.के. पंत व श्याम भगत नेगी, पुलिस महानिदेशक अशोक तिवारी, महाधिवक्ता अनूप रतन, नगर निगम के पार्षद, प्रशासन व पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों, स्वयं सेवी संस्थाओं और धार्मिक संस्थानों के प्रतिनिधियों और गणमान्य व्यक्तियों ने वॉकथॉन में हिस्सा लिया।






