
नाहन : जहां एक ओर पंचायतों के विकास कार्यों में अनियमितताओं के मामले अक्सर खबरों की सुर्खियां बनते हैं, वहीं, हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर से ईमानदारी, जनसेवक और कर्तव्यपरायणता की एक अद्भुत मिसाल सामने आई है, जिन्होंने अपने कार्यकाल का पूरा मानदेय ही अपनी पंचायत को दान कर दिया। ये हैं काहन सिंह। जिला सिरमौर की शिलाई क्षेत्र की कांटी मश्वा पंचायत के प्रधान।
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इन्होंने अपने मानदेय का एक भी रुपया अपने ऊपर खर्च न कर ये साबित कर दिया है कि जनसेवा एक पद नहीं, बल्कि एक पवित्र जिम्मेदारी भी है। 65 वर्षीय पंचायत प्रधान काहन सिंह को सरकार से अब तक जितना भी मानदेय मिला है, उसे वह स्कूली बच्चों, आंगनबाड़ी, मंदिर और अन्य विकास कार्यों को दान करेंगे।
अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें सरकार से कुल 3.40 लाख रुपए के आसपास मानदेय के तौर पर मिलेगा, क्योंकि उनका कार्यकाल अप्रैल 2021 में 3 माह बाद शुरू हुआ था। काहन सिंह अपनी पंचायत में सर्वसम्मति से प्रधान चुने गए थे। अभी पंचायत के चुनाव में दो से तीन माह का वक्त है। लिहाजा, वह अपनी घोषणा के अनुसार कुल 3.51 लाख रुपए की राशि पंचायत के विकास कार्यों पर ही खर्च करेंगे।
बता दें कि जनवरी 2021 में पंचायत का कार्यकाल शुरू हुआ था, लेकिन ये ऐसी पंचायत थी, जहां प्रधान पद के लिए किसी ने पर्चा नहीं भरा। लोग चाहते थे कि काहन सिंह ही प्रधान बनें और इसके लिए सर्वसम्मति बनाई गई, लेकिन काहन नहीं चाहते थे कि वह इसके लिए आगे आएं। यहां तक कि उनका नाम भी पंचायत की वोटर लिस्ट में नहीं था।
फिर क्या… लोगों के दबाव के आगे वह राजी हुए और वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होने के बाद उन्हें पंचायत ने सर्वसम्मति से प्रधान पद की बागडोर सौंपी। बड़ी बात ये है कि वह नहीं चाहते थे कि वह किसी भी पब्लिसिटी का हिस्सा बनें। वह सिर्फ धरातल पर काम करते रहे।
यहां तक कि उन्होंने अपनी लाखों की जमीन भी पंचायत की पीएचसी और सामुदायिक केंद्र के लिए दान कर दी। उन्हीं के कहने पर पंचायत के लोगों ने भी अपने क्षेत्र के विकास के लिए जमीनें दान की। वह ये भी मानते हैं कि जितना काम पंचायत के विकास में होना चाहिए था। कई कारणों से संभव नहीं हुआ, लेकिन जो काम हुए इससे वे संतुष्ट हैं।
पंचायत प्रधान काहन सिंह ने अपनी पंचायत के लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने सर्वसम्मति से प्रधान पद की बागडोर सौंपे जाने के दिन ही यह फैसला ले लिया था कि वह अपना सारा मानदेय पंचायत के विकास पर ही खर्च करेंगे।
उन्होंने बताया कि अब तक वह कुछ राशि डोनेट कर भी चुके हैं और शेष राशि को वह अपना कार्यकाल पूरा होने तक पंचायतों पर खर्च करेंगे। उन्होंने हाल ही में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कांटी मश्वा में वार्षिक समारोह के दौरान 51,000 रुपए की राशि दान की।
इसके अलावा पंचायत में भगवान श्री परशुराम और ठारी माता मंदिर निर्माण कार्य में सहयोग के लिए 51,000, सामुदायिक भवन मश्वा के लिए 51000 और भगवान परशुराम नवयुवक मंडल मश्वा के लिए भी वह 51,000 रुपए दान देंगे। उनकी पंचायत में 5 प्राइमरी स्कूल हैं, जबकि एक स्कूल (जाजला) शिल्ला पंचायत का है, जहां उनकी पंचायत के रिठोग गांव के बच्चे पढ़ने पहुंचते हैं।
ऐसे में वह इन 6 प्राइमरी स्कूलों को 21,000-21,000 रुपए (कुल 1.26 लाख रुपए) देंगे। इसको लेकर स्कूल प्रबंधन से बातचीत की जाएगी और स्कूल में जिस चीज की आवश्यकता होगी।
चाहे वह बच्चों की वर्दी, ट्रैक सूट या जूते हों, हर चीज को डिमांड के अनुसार ही प्रदान किया जाएगा, ताकि उनके मानदेय का दुरुपयोग भी न हो। इसके साथ ही वह अपनी पंचायत के कुल 6 आंगनबाड़ी केंद्रों को कुल 21,000 रुपए भेंट करेंगे।
युवा पीढ़ी को कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों में योगदान का संदेश देना ही उनका एकमात्र मकसद है। उन्होंने साफ किया कि अगला चुनाव लड़ने की उनकी कोई इच्छा नहीं है। सर्वसम्मति बनने के दौरान भी उनकी ये इच्छा नहीं थी कि वह प्रधान बनें, लेकिन वह अपनी पंचायत के लोगों के आग्रह के आगे नतमस्तक हुए।
काहन सिंह का कहना है कि वह सतौन में लाइम स्टोन ट्रेडिंग का एक छोटा सा बिजनेस चलाते हैं। उनके परिवार में उनकी धर्मपत्नी, दो बेटे और दो बेटियां हैं। बेटियों की शादी कर चुके हैं।
एक बेटा मुबंई में एक एमएनसी में सेवाएं दे रहा है, जबकि दूसरे बेटे का दिल्ली में अपना कारोबार है। उनका परिवार जो भी कुछ कमा रहा है, वह इससे ही संतुष्ट हैं। एक पंचायत प्रधान का मानदेय इतना भी नहीं होता कि वह आराम से अपना परिवार चला सकें।
लिहाजा, उन्होंने इसे पहले ही पंचायत को दान करने का फैसला ले लिया था। आगे पंचायत का कार्यकाल बढ़ेगा तो भी वह अपने मानदेय की राशि दान करेंगे।






