16 साल की उम्र में जिस चोट ने परिवार से जुदा किया, 45 साल बाद उसी ने परिवार से मिलाया रिखी राम, सिरमौर बना भावुक पुनर्मिलन का गवाह

फिल्मों में आपने अक्सर चोट लगने से याददाश्त जाने और बरसों बाद लौट आने के किस्से देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवा रहे हैं, जो वास्तव में बरसों बाद याददाश्त लौटने के बाद अपने घर लौटा। 

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पांवटा साहिब : फिल्मों में आपने अक्सर चोट लगने से याददाश्त जाने और बरसों बाद लौट आने के किस्से देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवा रहे हैं, जो वास्तव में बरसों बाद याददाश्त लौटने के बाद अपने घर लौटा।

ये मामला हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर से जुड़ा है। करीब 45 साल बाद इस शख्स के लौटने पर घर परिवार में जश्न का माहौल है। जिले के गिरिपार इलाके के नाड़ी गांव में 62 वर्षीय रिखी राम के साथ यह फिल्मी पटकथा हकीकत बन गई है।

अपनी जवानी में एक सड़क हादसे में रिखी राम अपनी याददाश्त खो चुके थे और किसी नए नाम से बरसों तक नई जिंदगी जीता रहा, लेकिन जब उसे दोबारा चोट लगी तो धीरे धीरे उसकी पुरानी यादें उसे याद आने लगी और तकरीबन 45 सालों के बाद अब यह वापस अपने घर लौटा आया है।

हालांकि, इस पर यकीन करना शायद आसान नहीं होगा, लेकिन ये एक सच्ची घटना है। रिखी राम के साथ यह सब सामने आया है। इस अवधि में उसके माता-पिता भी स्वर्ग सिधार गए, लेकिन जब परिवार में भाई बहनों ने उसे अपने बीच पाया तो वह फूले नहीं समाए और उसका घर लौटने पर जोरदार स्वागत किया।

रिखी राम गत 15 नवंबर को मुंबई से घर लौटा, लेकिन इसका खुलासा तब हुआ है, जब ये अनोखा मामला जश्न में तब्दील हुआ। इस समय जिला सिरमौर के शिलाई-पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्र के प्रवेश द्वार माने जाने वाले सतौन क्षेत्र के नाड़ी गांव में असाधारण खुशी का माहौल है।

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दरअसल, गांव का बेटा रिखी राम वर्ष 1980 में महज 16 साल की उम्र में लापता हो गया था। रिखी राम ने बताया कि 1980 में वह कामकाज की तलाश में हरियाणा के यमुनानगर गया था, जहां वह एक होटल में नौकरी करने लगा। एक दिन होटल कर्मी के साथ अंबाला जाते समय उनके साथ एक गंभीर सड़क हादसा हो गया। इस हादसे में सिर पर चोट लगने से उसकी याददाश्त चली गई और उन्हें कुछ याद नहीं रहा।

इस हादसे के बाद उसका संपर्क अपने गांव और परिवार से पूरी तरह कट गया। कोई ऐसा शख्स भी नहीं था, जो उन्हें उसके परिवार तक पहुंचा पाए और न ही दूर संचार के इतने साधन मौजूद थे कि उसका परिवार उनसे संपर्क कर सके।

इस हालत में उनके साथी ने ही उनका नया नाम रवि चौधरी रख दिया और इसी नाम के साथ उन्होंने नई जिंदगी की शुरुआत की। अब तक भी वह इसी नाम से जिंदगी जी रहे थे।

याददाश्त जाने के बाद मुंबई का किया रुख
रिखी राम की बातों पर यकीन करें तो याददाश्त खोने के बाद वह मुंबई के दादर में काम करने पहुंचे। इसके बाद फिर नांदेड़ के एक कालेज में नौकरी मिलने पर वहीं बस गए। रिखी राम ने बताया कि वर्ष 1994 में उनकी शादी संतोषी से हुई और आज उनके पास 2 बेटियां और एक बेटा है।

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दोबारा हादसे ने लौटाई याददाश्त
वर्षों तक रिखी राम सामान्य जीवन जीता रहा और उसे अपना वास्तविक घर, परिजन या पूर्व पहचान कुछ भी याद नहीं था। जीवन सामान्य रूप से गुजर रहा था कि कुछ महीने पहले काम पर जाते हुए उनका दोबारा एक्सीडेंट हुआ, जिसके बाद उनकी खोई हुई यादें धीरे-धीरे लौटने लगीं। उसे सपनों में बार-बार आम के पेड़, सतौन क्षेत्र और गांव के झूले दिखाई देने लगे।

शुरू में उसने इन सपनों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब यादें लगातार उभरती रहीं और उन्हें सपनों में बार-बार घर के पास आम के पेड़, सतौन से गुजरते वक्त सीसीआई के झूले और अपने गांव की झलक दिखाई देने लगी, तो उन्होंने इसका जिक्र अपनी पत्नी से किया।

फिर अतीत की खोज की
जब यह सिलसिला लगातार बढ़ता गया, तो रिखी राम ने अपने अतीत की खोज शुरू की। ज्यादा पढ़ा-लिखा न होने के कारण उसने जिस कालेज में वह काम करता था, वहां के एक छात्र से नाड़ी और सतौन से संबंधित गूगल पर कुछ जानकारियां व संपर्क नंबर ढूंढने में सहायता मांगी।

कैफे के नंबर के रूप में मिली पहली कामयाबी
रिखी राम ने बताया कि खोज के दौरान सतौन के एक कैफे का नंबर मिला। कैफे से उन्हें नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश का नंबर मिला। रिखी राम ने अपनी पूरी कहानी रुद्र प्रकाश को सुनाई, लेकिन शुरूआत में रुद्र प्रकाश ने इसे किसी तरह की धोखाधड़ी की संभावना मानकर गंभीरता से नहीं लिया और नजरअंदाज किया।

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फिर ऐसे पहुंचा परिवार तक
इसी बीच रिखी राम रोज कॉल कर अपने भाइयों-बहनों का हाल पूछता रहा। अंततः जब सभी छोर मिलने लगे, तो रुद्र प्रकाश का शक धीरे-धीरे यकीन में बदलने लगा। यकीन होने पर रुद्र प्रकाश ने रिखी राम के परिवार के बड़े जीजा एमके चौबे से उसका संपर्क कराया, जिन्होंने बातचीत के बाद माना कि सामने वाला वास्तव में रिखी राम ही हो सकता है।

सभी पक्षों की पुष्टि के बाद पहुंचा गांव
सभी पक्षों की पुष्टि होने के बाद 15 नवंबर को रिखी राम अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नाड़ी गांव पहुंचा। गांव में उनका स्वागत भाई दुर्गा राम, चंद्र मोहन, चंद्रमणि और बहन कौशल्या देवी, कला देवी, सुमित्रा देवी समेत बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने फूल मालाओं और बैंड से किया। अब रिखी राम को अपने बीच पाकर परिवार भी उत्साहित हैं और रिखी राम भी बेहद खुश हैं।