हरिपुरधार की इस बेटी ने 7 महीने के भीतर दो बार पास की JRF, पढ़ाई में दो साल का गैप भी नहीं तोड़ पाया हौसला

पढ़ाई के प्रति अपनी गहरी रुचि के चलते उन्होंने नए सिरे से बीए की पढ़ाई शुरू की और स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) से सोशियोलॉजी में एमए किया। अप्रैल 2024 में उन्होंने पहले SET और फिर NET की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।

0
नैनिका ठाकुर।

हरिपुरधार : जिला सिरमौर के गिरिपार इलाके की बेटी ने अपनी असाधारण उपलब्धि से इलाके का नाम रोशन किया है। नैनिका ठाकुर ने सिर्फ सात महीनों के भीतर दो बार जेआरएफ (Junior Research Fellowship) की परीक्षा उत्तीर्ण की है। उनकी यह सफलता इस मायने में और भी खास है, क्योंकि उन्होंने इसे विपरीत परिस्थितियों और हाटी समुदाय से जुड़े कानूनी मामले की अनिश्चितता के बीच हासिल किया है।

नैनिका ने दिसंबर 2024 में एसटी (Scheduled Tribe) कोटे से जेआरएफ की परीक्षा का फॉर्म भरा था, यह सोचकर कि हाटी मामले पर जल्द ही फैसला आ जाएगा। उन्होंने जनवरी 2025 में एसटी कोटे से यह परीक्षा पास कर ली।

हालांकि, जब हाटी समुदाय से जुड़ा मामला अदालत में लंबा खींचता दिखा, तो नैनिका ने बिना एसटी आरक्षण के ही जेआरएफ परीक्षा पास करने का दृढ़ संकल्प लिया। उन्होंने अपनी तैयारी और कड़ी मेहनत जारी रखी और जून 2025 में दोबारा परीक्षा देकर उसे सफलतापूर्वक पास कर दिखाया।

नैनिका की यह यात्रा केवल अकादमिक सफलता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके अदम्य साहस और दृढ़ता की कहानी भी है। 2016 में नाहन कॉलेज में बीएससी की पढ़ाई के दौरान एक सड़क दुर्घटना में उनकी टांग फ्रैक्चर हो गई थी। पीजीआई चंडीगढ़ में डॉक्टरों के कई प्रयासों के बाद ऑपरेशन सफल रहा, लेकिन उन्हें अपनी पढ़ाई से लगभग दो साल का गैप लेना पड़ा।

इसके बावजूद पढ़ाई के प्रति अपनी गहरी रुचि के चलते उन्होंने नए सिरे से बीए की पढ़ाई शुरू की और स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) से सोशियोलॉजी में एमए किया। अप्रैल 2024 में उन्होंने पहले SET और फिर NET की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।

इन सफलताओं के बाद ही नैनिका ने जेआरएफ परीक्षा को अपना अगला लक्ष्य बनाया और उसमें भी कामयाबी हासिल की। नैनिका का अगला लक्ष्य अब पीएचडी (Phd) करना है। बता दें कि नैनिका ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार भीम सिंह ठाकुर की बेटी हैं।

उनकी इस उपलब्धि से गिरिपार इलाके में खुशी का माहौल है। इसके साथ साथ वह क्षेत्र के उन हजारों युवाओं के लिए भी मिसाल बनी हैं, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे हैं।