संगड़ाह के कालथ में खाद्य प्रसंस्करण शिविर ने बदली किसानों की सोच, स्वरोजगार के बताए तरीके

शिविर के समापन सत्र में उद्यमिता के अवसरों, उत्पाद की सही पैकेजिंग, लेबलिंग (FSSAI मानदंडों के अनुसार) और बाजार तक पहुंचने की रणनीतियों पर चर्चा हुई।

0

नाहन : उपमंडल संगड़ाह की रजाना पंचायत के कालथ गांव में किसानों और स्वयं सहायता समूहों के लिए दो-दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण शिविर आयोजित किया गया। डॉ. वाई.एस. परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) के खाद्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से लगाए गए इस शिविर में 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इसका मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादों को केवल उगाने तक सीमित न रखकर, उन्हें लाभदायक आर्थिक गतिविधि में बदलना रहा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आरपीएस डॉ. अनिल कुमार वर्मा, डॉ. अनिल गुप्ता और राज कुमार ने प्रतिभागियों को विशेषज्ञ मार्गदर्शन दिया। उन्होंने न केवल खाद्य संरक्षण, प्रसंस्करण और स्वच्छता के वैज्ञानिक तरीकों से परिचित कराया, बल्कि बुरांश स्क्वैश, कीवी जैम, अचार और चटनी जैसे स्थानीय उत्पादों को बनाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया।

ये भी पढ़ें:  शहीद की बहन की शादी में 'भाई' बनकर पहुंचे सेना के जवान, निभाई हर रस्म, दुल्हन को ससुराल तक छोड़ा

इस दौरान प्रतिभागियों ने अपने हाथों से स्वादिष्ट और सुरक्षित उत्पाद बनाना सीखा, जिससे उन्हें अपनी आय बढ़ाने के नए तरीके मिलें। शिविर में विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे कच्चे कृषि उत्पादों जैसे फल, सब्जियां और दालों में थोड़ा सा मूल्य जोड़कर उन्हें बाजार में एक बेहतर उत्पाद के रूप में पेश किया जा सकता है।

उन्होंने स्वरोजगार के अवसर पैदा करने और अपने क्षेत्र के स्थानीय उत्पादों को पहचान दिलाने के महत्व पर भी प्रकाश डाला। शिविर के समापन सत्र में उद्यमिता के अवसरों, उत्पाद की सही पैकेजिंग, लेबलिंग (FSSAI मानदंडों के अनुसार) और बाजार तक पहुंचने की रणनीतियों पर चर्चा हुई।

ये भी पढ़ें:  नई पहाड़ी एल्बम 'जाणा कॉलेजो आमा जी' में कैद हुआ जमटा, सिंगर मिस्टर राज की नाहन कॉलेज में पढ़ने की जिद्द

इन चर्चाओं ने प्रतिभागियों को न केवल प्रेरित किया, बल्कि उन्हें एक सफल उद्यमी बनने का आत्मविश्वास भी दिया। सभी प्रतिभागियों को उनके प्रयासों और भागीदारी के लिए प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए।