राष्ट्रीय संगोष्ठी में हिमाचल के डॉ. चांडक ने पेश किया शोध पत्र, बताई भारतीय दार्शनिक परंपराओं की महत्ता

संगोष्ठी में हिमाचल प्रदेश से डॉ. यशवंत सिंह परमार राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाहन के सहायक आचार्य (इतिहास) डॉ. पंकज चांडक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

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शाहपुरा भीलवाड़ा/नाहन|
राजस्थान के शाहपुरा में श्री प्रताप सिंह बारठ राजकीय महाविद्यालय एवं अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वाधान में “वैश्विक संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा : अंतर्दृष्टि और नवाचार” पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका शुभारंभ राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के मुख्य आतिथ्य में हुआ.

संगोष्ठी में हिमाचल प्रदेश से डॉ. यशवंत सिंह परमार राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नाहन के सहायक आचार्य (इतिहास) डॉ. पंकज चांडक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने राष्ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में वॉल ऑफ नॉलेज से संबंधित जानकारी राज्यपाल को दी और हिमाचली संस्कृति की पहचान स्वरूप उन्हें हिमाचली टोपी पहनाकर स्वागत किया.

डॉ. चांडक ने “साहित्य, भाषा एवं पारंपरिक ज्ञान” पर केंद्रित प्रथम तकनीकी सत्र की उप अध्यक्षता की और “षडदर्शन: भारतीय दार्शनिक दृष्टिकोण” विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें भारतीय दार्शनिक परंपराओं की महत्ता को रेखांकित किया गया.

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता, राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, हनुमान सिंह राठौर, मुख्य वक्ता में प्रो. सुशीला शक्तावत सहित 650 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे.