रेणु मंच पर जीवंत हुई सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत, हानत घाटों ने जीता ‘बुड़ाह’ लोकनृत्य का खिताब

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श्री रेणुकाजी : अंतरराष्ट्रीय श्री रेणुकाजी मेले के चौथे दिन ऐतिहासिक रेणु मंच पर सिरमौर की सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत जीवंत हो उठी। जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी के संयोजन में श्री रेणुकाजी विकास बोर्ड और भाषा संस्कृति विभाग के सौजन्य से बुड़ाह लोकनृत्य दल प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया।

इस अनूठी प्रतियोगिता के माध्यम से दर्शकों को सिरमौर के प्राचीन, विलुप्त होते पारंपरिक नृत्य को करीब से देखने का मौका मिला। इस रोमांचक प्रतियोगिता में पारंपरिक बुड़ाह लोकनृत्य दल हानत घाटों ने अपनी दमदार प्रस्तुति से निर्णायक मंडल को प्रभावित करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया। बुड़ाह लोकनृत्य दल सैंज ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया, जबकि भद्रास दल गनोग को तृतीय स्थान मिला।

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इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में तहसीलदार ददाहू जय सिंह और तहसीलदार नाहन उपेंद्र सिंह ने शिरकत की और सभी विजेता दलों को पुरस्कृत किया। जिला भाषा अधिकारी कांता नेगी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में गिरिआर हाटी कला मंच गुंडाह, शिरगुल कला मंच घाटों, गोगा वीर सांस्कृतिक कला मंच पखवान गनोग, गुगा महाराज बुढ़ियात सांस्कृतिक क्लब क्यारका सहित कई दलों ने भाग लिया।

यह बुडाह लोकनृत्य सिरमौर की पहचान है, जिसमें चोलटु नामक विशेष पारंपरिक परिधान पहना जाता है। इस नृत्य के दौरान हुड़क और थाली जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है, जिसके माध्यम से लोक गाथाएं, होकू, छीछा, जगदेउ, जाग और भिन्युरी जैसी प्राचीन कथाएं प्रस्तुत की जाती हैं।

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यह आयोजन इस लुप्त होती लोक कला को संरक्षण प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में लोक संस्कृति के ज्ञाता और संगीत के प्राध्यापक डॉ. देवराज शर्मा, डॉ. किरण बाला और संगीत प्रवक्ता ओम प्रकाश शामिल रहे। मंच संचालन की जिम्मेदारी दलीप वशिष्ठ ने निभाई।

जिला भाषा अधिकारी ने बताया कि पुरस्कार राशि के तौर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के विजेताओं को क्रमशः ₹15,000, ₹13,000 और ₹11,000 की नकद पुरस्कार राशि और आकर्षक ट्रॉफी श्री रेणुका विकास बोर्ड द्वारा प्रदान की जाएगी।

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