IIRS-ISRO के सहयोग से नाहन कॉलेज में शुरू हुआ ऑनलाइन प्रशिक्षण

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नाहन : डॉ. वाई.एस. परमार पी.जी. कालेज नाहन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS) देहरादून के सहयोग से “रिमोट सेंसिंग और जी.आई.एस. प्रौद्योगिकी के बुनियादी सिद्धांत (हिन्दी में पाठ्यक्रम) ” विषय पर ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम 8 सितम्बर से शुरू हुआ, जो 19 सितम्बर 2025 तक चलेगा। इस कार्यक्रम में भूगोल विभाग के विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों सहित 107 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ आई.आई.आर.एस. के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. हरीश कर्नाटक के उद्घाटन भाषण से हुआ। उन्होंने रिमोट सेंसिंग और जी.आई.एस. प्रौद्योगिकी के वैश्विक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में भू-स्थानिक विज्ञान का क्षेत्र बेहद विस्तृत हो चुका है और विद्यार्थियों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है।

डॉ. राघवेंद्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक आई.आई.आर.एस. देहरादून ने “भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और उसके अनुप्रयोगों का अवलोकन” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया और बताया कि भारत की उपग्रह तकनीक किस तरह जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और शहरी नियोजन में क्रांतिकारी योगदान दे रही है।

इस प्रशिक्षण में विद्यार्थियों को सुदूर संवेदन तकनीक के मूलभूत सिद्धांत, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के सिद्धांत, सेंसर और उपग्रह, उपग्रह चित्र एवं डिजिटल प्रिंस्करण, जी.आई.एस. डेटा मॉडलिंग और स्पैशियल विश्लेषण, ओपन सोर्स जीआईएस सॉफ्टवेयर, इसरो भूवन पोर्टल, साइबर जी.आई.एस. व शिक्षा में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के उपयोग जैसे विषयों पर व्याख्यान दिए जाएंगे।

कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त करें, बल्कि व्यवहारिक रूप से भी तकनीकों में दक्ष हो सकें। प्राचार्य डॉ. वी. के. शुक्ला ने कहा कि इस प्रकार के आउटरीच कार्यक्रम आधुनिक शिक्षा में अत्यंत आवश्यक हैं और भूगोल जैसे विषय के विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित होंगे। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विद्यार्थी इस प्रशिक्षण से प्रेरणा लेकर भविष्य में समाज और राष्ट्र के विकास में योगदान देंगे।

आई.आई.आर.एस.-इसरो आउटरीच कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. जगदीश चंद ने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा देते हैं और विद्यार्थियों को प्रत्यक्ष रूप से वैज्ञानिक गतिविधियों से जोड़ते हैं।

उन्होंने बताया कि बी.ए. प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में रिमोट सेंसिंग, जी.पी.एस. और जी.आई.एस. पहले से शामिल हैं और इसरो आई.आई.आर.एस. का यह प्रशिक्षण विद्यार्थियों के ज्ञान और कौशल को बहुआयामी विस्तार प्रदान करता है।

इस कार्यक्रम की सफलता में डॉ. उत्तमा पांडेय, डॉ. विवेक नेगी, डॉ. जगपाल सिंह तोमर, प्रो. रीना चौहान, प्रो. ऋचा कंवर, प्रो. सुधेश कुमार, डॉ. अनुप कुमार, डॉ. पंकज दबस, डॉ. जय चंद, डॉ. रवि कांत, डॉ. हिमेंद्र, प्रो. विनोद और अधीक्षक सुरेश शर्मा का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।