पंचतत्व में विलीन हुए बलिदानी मनीष ठाकुर, पत्नी ने लाल जोड़े में दी अंतिम विदाई

भारत मां के लाल के अंतिम दर्शनों के लिए अंतिम यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ा। इस दौरान हर किसी की आंख नम थी।

0

नाहन : उत्तरी सिक्किम में हुए भारी भूस्खलन के दौरान अपना बलिदान देने मनीष ठाकुर की पार्थिव देह बुधवार दोपहर पैतृक गांव बड़ाबन पहुंची। पिछले करीब 3 दिनों से अपने लाडले की पार्थिव देह का इंतजार कर रहे परिजन उस वक्त फूट-फूटकर रो पड़े, जब महज 27 साल की उम्र में शहादत पाने वाला उनका बेटा लांस नायक मनीष ठाकुर तिरंगे की शान में लिपटा हुआ घर के आंगन में पहुंचा।

गमगीन माहौल के बीच शहीद की पत्नी तनु ने लाल जोड़े में अपने बलिदानी पति को अंतिम विदाई दी। पत्नी को फूट-फूट रोता देख हर किसी की आंख नम हो गईं। भारत मां के लाल के अंतिम दर्शनों के लिए अंतिम यात्रा में भारी जनसैलाब उमड़ा। इस दौरान हर किसी की आंख नम थी।

नेशनल हाइवे-07 पर शंभूवाला से मनीष ठाकुर की शान में युवाओं ने उनके गांव तक उनकी पार्थिव के आगे मोटरसाइकिलों पर तिरंगा यात्रा निकाली। इस दौरान पूरा इलाका भारत माता की जय और मनीष ठाकुर अमर रहे जैसे नारों से गूंज उठा। इस दौरान पूरे राजकीय व सैन्य सम्मान के साथ लांस नायक मनीष ठाकुर की अंत्येष्टि हुई। उनके छोटे भाई धीरज ठाकुर ने अपने बड़े भाई लांस नायक मनीष ठाकुर को मुखाग्नि दी।

मौसम खराब होने की वजह से बुधवार को उनकी पार्थिव देह फ्लाइट के माध्यम से चंडीगढ़ पहुंची, जहां से सड़क मार्ग से होते हुए सेना के वाहन में मनीष ठाकुर की पार्थिव देह गांव में पहुंची। मनीष ठाकुर भारतीय सेना में 3 डोगरा रेजिमेंट में तैनात थे।

3 महीने पूर्व हुई थी शादी
3 महीने पहले जिस बेटे की बरात बड़ाबन की वादियों में गूंजती हुई निकली थी, आज वहां साल के घने जंगल भी बिल्कुल शांत हैं। 5 मार्च 2025 को मनीष ने तनु के साथ सात फेरे लिए थे। किसे पता था कि जिन वादियों में उनकी बारात की शहनाई गूंजी थी, आज इन्हीं वादियों में मनीष ठाकुर तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचा।

पत्नी तनु के साथ शादी को अभी तीन महीने ही हुए थे। अभी उनके हाथों की मेहंदी भी फीकी नहीं पड़ी थी कि उसके सब सपने अब सिसकियों में बदल गए। शादी के जिन फेरों में दोनों ने जीने-मरने के वचन लिए थे, वो भी अब अधूरे रह गए। किसी को नहीं पता था कि शादी की ये खुशी कुछ ही दिनों की मेहमान होगी।

8 वर्ष 8 साल की देश सेवा
15 जनवरी 1998 को जन्मे मनीष ठाकुर ने 2016 में भारतीय सेना की वर्दी पहनकर देश सेवा की राह चुनी थी। करीब 8 वर्ष 8 महीने सेना में रहकर उसने अपने फर्ज को पूरी निष्ठा से निभाया। पिता जोगिंद्र सिंह ने मजदूरी कर बेटे को मेहनत से तैयार किया था। मां किरण बाला के लिए मनीष की वर्दी सपनों की सबसे ऊंची उड़ान थी। उनके बलिदान ने गांव ही नहीं, पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है। आंखें नम हैं, लेकिन हर सीना गर्व से भरा है। अपने पीछे मनीष पत्नी तनु देवी, माता किरण बाला, पिता जोगिंद्र सिंह और एक छोटा भाई धीरज को छोड़ गए हैं।