राजगढ़ : श्री शिरगुल देवता की जन्मस्थली शाया छबरोण में बिशु मेले का बुधवार को समापन हो गया। इस मौके पर क्षेत्र के हजारों लोगों ने मेले में ठोडा खेल का भरपूर आनंद लिया। मेले में ठोडा खेल की दो टीमें अर्थात खुंदो ने भाग लिया, जिसमें शलेच गांव के छमराल गौत्र के शाठड़ और नारकंडा के पाशड़ गौत्र की टीमों ने भाग लिया।
शिरगुल मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी एवं प्रदेश के प्रसिद्ध साहित्यकार शेरजंग चौहान ने बताया कि श्री शिरगुल देवता की प्रसन्नता और क्षेत्र की खुशहाली व सुख समृद्धि के लिए यह बिशु मेला कालांतर से मनाया जा रहा है। मेले का आयोजन हर तीसरे साल किया जाता है, जिसमें एक साल शिरगुल देवता की जातर चूड़धार जाती है, जहां शिरगुल देवता अपनी तपोस्थली में जाकर स्नान करते हैं और उससे अगले वर्ष शाया में बिशु मेले का आयोजन किया जाता है।
शेरजंग चौहान ने बताया कि बिशु मेला आरंभ होने से करीब तीन दिन पहले शिरगुल मंदिर से नगाड़ा को पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मेला स्थली अर्थात जुबड़ी को लाया जाता है। मेले से पहले कुल पांच नगाड़े मंदिर जुबड़ी को लाए जाते हैं, जिनमें से तीन नगाड़े जुबड़ी में रखे जाते हैं और मेला संपन्न होने के बाद वापस मंदिर छोड़ दिए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि महाभारत कालीन ठोडा खेल धनुर्धर विद्या का प्रतीक है, जिसे विशेषकर सिरमौर और जिला शिमला में बिशु अथवा उत्सव पर खेला जाता है, जिसमें दो खिलाड़ी एक दूसरे का तीर मारते हैं, जिसमें घुटने से ऊपर तीर मारना फाउल माना जाता है।
खिलाड़ी विशेष प्रकार का पायजामा (सलारा) और चमड़े के बूट डालकर इस ठोडा खेल को खेलते हैं। धनुष पर प्रत्यंचा चाढ़ना और तीर को बल देकर खींचना पड़ता है, जिसे केवल खिलाड़ी ही कर सकते हैं। कालांतर में दो खिलाड़ियों के बीच मुकाबला होता था, जिससे कई बार झगड़े भी हो जाते थे, अब लोग इसे शौक से खेलते हैं।
उन्होंने बताया कि सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के अधिकांश गांव में श्री शिरगुल देवता अथवा बिजट देवता के नाम पर बिशु मेलों का आयोजन किया जाता है। यह मेले ठोडा खेल के बिना अधूरे माने जाते हैं। अनेक गांवों मे बिशु मेलों पर ठोडा खेल के अतिरिक्त लोगों के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम व अन्य खेल गतिविधियों को शामिल किया गया है।
मेले के आयोजन में समिति के प्रमुख यानि ठगड़ा निवेष ठाकुर और भाग सिंह, देवा पृथ्वीराज, पूर्व देवकार्य प्रमुख रणवीर चौहान, शिजस्वी समिति के पूर्व अध्यक्ष अमर सिंह ठाकुर सहित सभी सदस्यों ने भरपूर सहयोग दिया।