नाहन/शिलाई : उत्तराखंड और हिमाचल के लाखों लोगों के आराध्य देव और कुल देवता छत्रधारी चालदा महासू महाराज ने शनिवार शाम शाम करीब 6 बजे पहली बार टौंस नदी पर बने मिनस पुल को पार कर उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश की सिरमौर सीमा में भव्य प्रवेश किया।
चालदा महासू महाराज के आगमन के दौरान सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा कि मिनस में हजारों श्रद्धालुओं का हुजूम जुट गया। जिला सिरमौर की सीमा में प्रवेश करते ही ढोल नगाड़ों, पटाखे और आतिशबाजी के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण व भारी जयघोषों के साथ महाराज का भव्य स्वागत हुआ। 
जैसे ही महाराज की पालकी हिमाचल की जमीं पर उतरी, उन्हें कंधा देने वाले कारदार भी बदल गए। उत्तराखंड से पालकी लेकर आए कारदारों के स्थान पर हिमाचल की सीमा से पश्मी गांव के कारदारों ने पालकी को श्रद्धापूर्वक उठाया।
मिनस में केवल सिरमौर ही नहीं, बल्कि शिमला जिले के जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल, नेरवा और सिरमौर के सतौन, शिलाई, पांवटा साहिब जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से आए हजारों भक्तों ने महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया।
मिनस से शुरू हुई यह भव्य देव यात्रा रात करीब 11 बजे के आसपास द्राबिल पहुंचेगी, जहां चालदा महासू महाराज ने हिमाचल में अपना पहला पड़ाव लेंगे। द्राबिल में मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा-अर्चना होगी और रात भर कीर्तन का आयोजन होगा।
महासू महाराज मंदिर समिति और ग्रामीणों द्वारा हजारों लोगों के लिए विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई है। ठंड को देखते हुए भक्तों के लिए कई किलोमीटर तक टेंट लगाए गए हैं और लकड़ी के अलाव जलाए गए हैं, ताकि भक्तजन रात भर महाराज का जागरण कर सकें।
रविवार सुबह पूजा-अर्चना के बाद महाराज की देव यात्रा पश्मी गांव के लिए शुरू होगी। रविवार देर शाम को चालदा महासू महाराज पश्मी गांव में करीब 2 करोड़ रुपये की लागत से बने नवनिर्मित मंदिर में विधिवत रूप से विराजमान होंगे। एक साल तक चालदा महासू महाराज यहीं रहेंगे।
इस दौरान मंदिर समिति यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और भंडारे की व्यवस्था करेगी। इसी वर्ष के बीच में महाराज अगले स्थान पर जाने की घोषणा भी करेंगे।
पश्मी गांव में इस समय उत्सव जैसा माहौल है। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि शताब्दियों बाद मिलने वाला सांस्कृतिक सौभाग्य है। अगले वर्ष तक बिशु, दीपावली और बसंत पंचमी जैसे सभी प्रमुख त्योहारों पर पश्मी गांव में विशेष आयोजन होंगे, जिसमें उत्तराखंड और हिमाचल के हजारों लोग भाग लेंगे।
चालदा महासू महाराज के देव कार्य और भंडारे के सफल संचालन के लिए श्री महासू महाराज कमेटी का गठन किया गया है। इसमें दिनेश चौहान को वजीर और रघुवीर सिंह को भंडारी नियुक्त किया गया है, जबकि पूजा की जिम्मेदारी पंडित आत्माराम शर्मा को सौंपी गई है।






