बिलासपुर : हिमाचल प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत जिला बिलासपुर में किसानों से दूध एकत्र करने और संग्रहण की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पंचायत स्तर पर दुग्ध सहकारी समितियों (कोऑपरेटिव सोसाइटीज) के गठन को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता डीसी बिलासपुर राहुल कुमार ने की।
इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें मिल्कफेड मंडी से विवेक ठाकुर, परियोजना अधिकारी डीआरडीए बिलासपुर, जिला पशुपालन अधिकारी बिलासपुर और सहकारिता विभाग से सहायक पंजीयक भास्कर विशेष रूप से शामिल रहे।
डीसी ने बताया कि पशुपालन विभाग द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में यह सामने आया कि बिलासपुर जिला की 101 पंचायतों में प्रतिदिन औसतन 200 लीटर सरप्लस दूध का उत्पादन हो रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए इन पंचायतों में दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा। साथ ही क्लस्टर स्तर पर मिल्क कलेक्शन सेंटर्स स्थापित किए जाएंगे, जहां से दूध को चिलिंग पॉइंट्स तक पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 25 पंचायतों का चयन कर लिया गया है, जहां सहकारी समितियों के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है और शीघ्र ही इन समितियों को आवश्यक लाइसेंस जारी कर दिए जाएंगे।
डीसी ने यह भी जानकारी दी कि सरकार के निर्देशानुसार दूसरे चरण में उन पंचायतों को शामिल किया जाएगा, जहां प्रतिदिन 100 लीटर से अधिक सरप्लस दूध का उत्पादन होता है। इन पंचायतों में भी सहकारी समितियों के गठन की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से दुग्ध उत्पाद निर्माण को बढ़ावा दे रही है। राज्य सहकारी डेयरी उत्पादक समितियों के माध्यम से दूध और दुग्ध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण और विपणन की संपूर्ण प्रक्रिया को सशक्त किया जाएगा।
किसानों को सहकारी तंत्र से परिचित कराने और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार गुजरात जैसे अग्रणी राज्यों में एक्सपोजर विजिट की व्यवस्था भी कर रही है। डीसी ने कहा कि पशुपालन और डेयरी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि जो भी पंचायत कोऑपरेटिव सोसाइटी के गठन के लिए इच्छुक है, वह पशुपालन विभाग से संपर्क कर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकती है।