शिलाई : जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में लोक आस्था और परंपरा का एक जीवंत उदाहरण इतिहास में दर्ज हो गया है। संक्रांति के पावन अवसर पर सदियों का इंतजार खत्म करते हुए सोमवार तड़के ठीक 4 बजे पश्मी गांव में छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज विधिवत रूप से मंदिर में विराजमान हो गए।
उत्तराखंड के दसऊ गांव से 7 दिनों की कठिन पैदल यात्रा पूर्ण कर छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज का हिमाचल प्रदेश के पश्मी धाम में आगमन हुआ। रात लगभग 11 बजे महाराज शिलाई और 2 बजे पश्मी पहुंचे। पारंपरिक एवं धार्मिक मंत्रोच्चारण के बाद तड़के 4 बजे उनका मंदिर में पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ स्वागत किया गया।
महाराज का छत्र और पालकी के दर्शन करते ही हजारों श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। जैसे ही महाराज की पावन पालकी पश्मी गांव की सीमा में पहुंची, वातावरण में एक अद्भुत आध्यात्मिक स्पंदन महसूस किया गया। मंदिर प्रांगण में प्रवेश करते ही “जय महासू महाराज” के गगनभेदी जयघोष गूंज उठे।
गौरतलब हो कि उत्तराखंड के दसऊ गांव से 8 दिसंबर दोपहर 2 बजे प्रस्थान कर छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज 15 दिसंबर की सुबह पश्मी धाम पहुंचे। इस देव यात्रा के दौरान करीब 70 किलोमीटर की दूरी तय की गई। यात्रा के दौरान विधि-विधान, बागड़ी और पारंपरिक अनुष्ठानों के कारण देवता की औसत गति लगभग 0.44 किलोमीटर प्रति घंटा रही, जबकि प्रतिदिन औसतन 10-11 किलोमीटर का मार्ग श्रद्धा और संयम के साथ तय किया गया।
बेटियों ने पारंपरिक नाटी से किया स्वागत
उत्तराखंड और हिमाचल में लाखों लोगों के आराध्य देव छत्रधारी श्री चालदा महासू महाराज सदियों के इंतजार के बाद पश्मी मंदिर में विराजमान हुए। समृद्ध देव इतिहास के साढ़े 5 हजार साल से महाभारत कालीन ऐतिहासिक कालखंड में यह पहली बार है कि महाराज हिमाचल के सिरमौर में प्रवास को पधारे हैं।
पश्मी मंदिर में आस्था और परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिला। यहां गांव की विवाहित और बिन ब्याही बेटियों ने एक ही रंग की परंपरागत पोशाक में महाराज का स्वागत किया और पहाड़ी नाटी डालकर खुशी का इजहार किया। श्री महासू महाराज की लंबी यात्रा में उनके साथ पहुंचे उनके बकरा भी विशेष आकर्षण के केंद्र रहे।
हजारों श्रद्धालुओं के लिए अटूट भंडारे का आयोजन किया गया है। धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन को लेकर आयोजन कमेटी के सदस्य भी एक ही तरह की पोशाक में श्रद्धालुओं को सेवाएं दे रहे हैं।
महाराज की बरांश यात्रा में पश्मी के वजीर दीवान सिंह राणा, जिन्हें क्षेत्र में “बोलता महासू” के नाम से जाना जाता है, भी साथ रहे। रविवार दोपहर द्राबिल गांव से करीब दो बजे आरंभ हुई यात्रा देर रात शिलाई पहुंची, जहां श्रद्धालु पूरी रात जागकर महाराज के स्वागत में खड़े रहे। उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान भी रात्रि भर शिलाई में उपस्थित रहे और हिमाचल प्रदेश में महाराज के प्रवेश पर श्रद्धापूर्वक स्वागत किया।
उद्योग मंत्री ने इस पावन अवसर पर समस्त प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि पश्चिम गांव में हिमाचल और उत्तराखंड की समृद्ध देव परंपरा का नया इतिहास लिखा गया है। वह स्थानीय एसडीएम सहित सभी प्रशासनिक व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे हैं।






