सिरमौर में आधी रात बिना परमिशन बन रही थी शराब, फैक्टरी सील, लेबर भी निकली फर्जी, जानें पूरा मामला

आधी रात को दी गई दबिश के दौरान टीम ने पाया फैक्टरी के हॉल में बॉटलिंग प्रोसेस चल रहा था। पड़ताल करने कर सामने आया कि उस समय प्लांट में बॉटलिंग करने यानी शराब बनाने की परमिशन नहीं थी। यहां रॉयल ब्लू व्हिस्की की बॉटलिंग हो रही थी, जिस पर उत्तराखंड इन सेल के लेबल लगे थे।

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नाहन : हिमाचल प्रदेश के राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने जिला सिरमौर में आधी रात बिना परमिशन बन रही शराब की एक फैक्टरी का भंडाफोड़ किया है। विभाग के एडिशनल कमिश्नर उज्जवल राणा के नेतृत्व में 8 सदस्यीय टीम ने जिला के औद्योगिक क्षेत्र कालाअंब में इस बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया।

विभाग ने शनिवार की मध्यरात्रि करीब डेढ़ बजे फैक्टरी में दबिश दी और रविवार देर शाम तक विभाग की यह कार्रवाई जारी रही। खुलासा हुआ है कि इस फैक्टरी में न केवल अवैध तरीके से शराब बनाई जा रही थी, बल्कि इसे तैयार करने वाली लेबर भी फर्जी थी।

विभाग की टीम को मौके पर जो लेबर मिली, वह चंडीगढ़ से ताल्लुक रखती है, जो यहां यह शराब तैयार कर रही थी। इस दौरान विभाग की टीम ने इस फैक्टरी से शराब की सैकड़ों पेटियां बरामद की हैं। इसके साथ साथ लाखों की तादाद में शराब के लेबल भी सीज किए। विभाग ने शराब फैक्टरी से बरामद सामान को सीज कर फैक्टरी को सील कर दिया है।

विभाग ने कार्रवाई पूरी करने के बाद रविवार शाम को नाहन में प्रेस वार्ता की। विभाग के एडिशनल कमिश्नर उज्जवल राणा ने बताया कि इनपुट के आधार पर विभाग ने एक टीम का गठन किया गया। इस पर टीम औद्योगिक क्षेत्र कालाअम्ब में नाहन रोड़ पर स्थित त्रिलोक सन्स ब्रेवरी एंड डिस्टलरी फैक्टरी में रात करीब डेढ़ में पहुंची।

आधी रात को दी गई दबिश के दौरान टीम ने पाया फैक्टरी के हॉल में बॉटलिंग प्रोसेस चल रहा था। पड़ताल करने कर सामने आया कि उस समय प्लांट में बॉटलिंग करने यानी शराब बनाने की परमिशन नहीं थी। यहां रॉयल ब्लू व्हिस्की की बॉटलिंग हो रही थी, जिस पर उत्तराखंड इन सेल के लेबल लगे थे। जांच में यह भी सामने आया कि उक्त शराब को एक्सपोर्ट करने की भी कोई परमिशन नहीं थी। लिहाजा, अवैध तरीके से यह शराब तैयार की जा रही थी।

एडिशनल कमिश्नर ने बताया कि इस बीच बॉटलिंग हॉल में 20 से 22 लोग थे, जिनकी डी-7 रजिस्टर से वेरिफिकेशन की गई, तो पाया गया कि ये सभी लेबर के लोग भी अनऑथराइज्ड थे। सीधे शब्दों में कहें तो फैक्टरी में अनऑथराइज्ड लेबर के माध्यम से अनऑथराइज्ड शराब (लीकर) तैयार की जा रही थी।

इस दौरान फैक्टरी से रॉयल ब्लू शराब, जिस पर फॉर सेल इन उत्तराखंड के लेबल लगे हुए थे, उसकी लगभग 230 पेटियां विभाग ने सीज की हैं। बॉटलिंग प्लांट यानी मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को चेक करने पर वहां से एक ड्राई जिन मिला, उस पर भी रुद्रपुर उत्तराखंड का लेबल लगा था।

इस पर बॉटल्स मैन्यूफैक्चर इन रूद्रपुर उत्तराखंड की मार्किंग की गई थी, जिसके मौके पर लगभग 3.95 लाख लेबल विभाग को बरामद हुए, जिन्हें विभाग ने सीज कर लिया है। इसके अलावा संतरा फॉर सेल इन उत्तराखंड के लगभग 42000 लेबल भी सीज किए गए हैं।

विभागीय नियमों के तहत जांच पड़ताल करने और रजिस्टर से मिलान करने के बाद लगभग देसी के 2100 केसिस और अंग्रेजी के करीब 1100 केसिस फालतू मिले। इन्हें भी विभाग ने सीज किया है।

एडिशनल कमिश्नर ने बताया कि बॉटलिंग प्लांट के पीछे फैक्टरी परिसर में ही खड़े कैंटर से करीब 41000 प्लास्टिक पेट बॉटल्स भी सीज की गई है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश में अंग्रेजी व देसी दोनों के लिए पेट बॉटल्स में शराब एलाउड नहीं है। यह कैंटर पुलिस के सुपुर्द किया गया है।

इसके अलावा लीकर के ऊपर लगने वाले चंडीगढ़ एक्साइज के 20 से 22 हजार ढक्कन (कैप्स) भी मौके से बरामद किए गए हैं, उन्हें भी विभाग ने सीज किया है। वहीं ईएनए जिससे लीकर बनती है, लगभग 4500 बल्क लीटर अधिक पाया गया है, वह भी विभाग ने सीज किया है।

उन्होंने बताया कि अनऑथराइज्ड लेबर की डिटेल ली गई है। इस कार्रवाई के दौरान पुलिस विभाग का भी भरपूर सहयोग मिला। अब इस मामले में विभाग फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज की जांच पड़ताल करेगा।

विभाग के डिप्टी कमिश्नर हिमांशु आर. पंवार की तरफ से मामले को लेकर लिखित शिकायत पुलिस को भी दी गई है। उन्होंने कहा कि कहां से यह ईएनए आया? कौन सी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया? जो लीकर यहां बनी है, वह कहां-कहां सप्लाई हुई? इन सभी सवालों की जांच की जा रही है।