सड़क दुर्घटना के मामले में दोषी को डेढ़ साल की कैद, अदालत ने सुनाया फैसला

अदालत में 13 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। तमाम दलीलों और सबूतों के आधार पर अदालत ने इस मामले में दोषी को यह सजा सुनाई। 

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पांवटा साहिब : न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायालय संख्या 2 पांवटा साहिब के न्यायाधीश विशाल तिवारी की अदालत ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में आरोपी आत्मा राम पुत्र सुमेर चंद निवासी गांव एवं पोस्ट ऑफिस शिवा, तहसील पांवटा साहिब को दोषी करार दिया है।

अदालत ने दोषी को IPC की धारा 279, 337 के तहत 6-6 महीने की कैद और 1000 व 500 रुपए जुर्माना, धारा 338 के तहत एक साल की कैद और 1000 रुपए जुर्माना व धारा 304ए के तहत 1 साल 6 महीने (डेढ़ साल) की कैद और 3000 रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने की सूरत में दोषी को 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

सहायक जिला न्यायवादी दीक्षित शर्मा ने बताया कि पांवटा साहिब थाना क्षेत्राधिकार में सड़क हादसे की सूचना मिलने के उपरांत पीएसआई मुकुल शर्मा और हेड कांस्टेबल राम कुमार एमएलसी हासिल करके वासी मुकदमा लाल चंद पुत्र रघुनंदन लाल निवासी गांव व पोस्ट ऑफिस चूड़ीवाला, तहसील साहा, जिला अंबाला हरियाणा ने सीआरपीसी की धारा 154 के तहत बयान कलमबंद करवाया।

पुलिस को दिए बयान में बताया गया कि 2 मार्च 2014 को समय करीब 10 बजे वह अपनी बहन के घर दुर्गा कालोनी पांवटा साहिब पहुंचे। उसका दोस्त पवन कुमार जो प्रॉपर्टी का काम करता है, वह भी साथ था। इस दौरान नीरज कुमार बाता मंडी पवन कुमार को प्लांट दिखाने के लिए ले गया।

गाड़ी में लाल चंद, पवन कुमार, नीरज शर्मा व पवन शर्मा सुबह 11 बजे बाता मंडी पहुंचे, जहां गाड़ी को साइड में खड़ा किया गया। इसके बाद चारों पैदल ही बहराल की तरफ प्लांट देखने के लिए जा रहे थे।

इसी बीच बातापुल की तरफ से तेज रफ्तारी से गाड़ी नंबर एचपी17सी- 4335 आई, जिससे अचानक राहगीर नीरज, पवन कुमार और पवन शर्मा को टक्कर लगी। हादसे के बाद तुरंत लाल चंद ने अपनी निजी गाड़ी एचआर29एन – 0076 में घायलों को सिविल अस्पताल पहुंचाया, जहां नीरज शर्मा को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया।

सहायक जिला न्यायवादी ने बताया कि इस मामले में पुलिस थाना पांवटा साहिब में IPC की धारा 279, 337, 338, 304ए के तहत केस दर्ज किया गया, जिसमें गाड़ी चालक की पहचान लाल चंद ने उसके सामने आने पर की।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने जांच पूरी होने पर अदालत में चालान पेश किया। अदालत में 13 गवाहों के बयान दर्ज करवाए गए। तमाम दलीलों और सबूतों के आधार पर अदालत ने इस मामले में दोषी आत्माराम को यह सजा सुनाई।