पच्छाद के श्री भूरशिंग महादेव मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा संपन्न, हजारों ने किया भक्ति रसपान

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सराहां : पच्छाद उपमंडल के आराध्य देव भूरशिंग महादेव मंदिर में शुक्रवार को श्रीमद् भागवत कथा का हवन यज्ञ के बाद समापन हो गया. इस दौरान सैकड़ों भक्तों ने भक्ति का रसपान किया.

श्री भूरशिंग महादेव मंदिर कवागधार कथाड की ओर से कथा में पहुंचने वाले सभी भक्तों के लिए भंडारे का प्रबंध किया गया था. श्री भूरशिंग महादेव मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मदन मोहन अत्री ने बताया कि 7 दिनों तक चली श्रीमद् भागवत कथा में क्षेत्र के हजारों लोगों ने बढ़ चढ़कर भक्ति का रसपान किया और कथा का भरपूर आनंद लिया.

कथा के अंतिम दिन सुदामा चरित्र के माध्यम से भक्तों के सामने दोस्ती की मिसाल पेश की गई और समाज में समानता का संदेश दिया गया. साथ ही भक्तों को बताया कि श्रीमद् भागवत कथा का सात दिनों तक श्रवण करने से जीव का उद्धार हो जाता है. वहीं इसे कराने वाले भी पुण्य के भागी होते हैं.

कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को आचार्य संजय प्रकाश शास्त्री ने सातों दिन की कथा का सारांश पेश किया. उन्होंने बताया कि मनुष्य का जीवन कई योनियों के बाद मिलता है. इसे कैसे जीना चाहिए, यह भी समझाया.

कथा वाचक ने सूर्यदेव से स्त्राजित को उपहार स्वरूप मिली स्यमंतक मणि का प्रसंग सुनाते हुए मणि के खो जाने पर जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच 28 दिन तक चले युद्ध और फिर जामवंती, सत्यभामा सहित श्रीकृष्ण के सभी आठ विवाह की कथा सुनाई.

उन्होंने बताया कि कैसे प्रभु ने दुष्ट भौमासुर के पास बंदी 16,100 कन्याओं को मुक्त करवाया और उन्हें अपनी पटरानी बनाकर उन्हें मुक्ति दी. उन्होंने सुदामा चरित्र को विस्तार से सुनाया. कृष्ण और सुदामा की निश्छल मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे बिना याचना के कृष्ण ने गरीब सुदामा का उद्धार किया.

मित्रता निभाते हुए सुदामा की स्थिति को सुधारा. उन्होंने गौवध का विरोध और गौ सेवा करने पर भी जोर दिया. कथा समापन कार्यक्रम के बाद हवन यज्ञ और फिर प्रसाद वितरित किया गया.